'हिंद स्वराज्य' की कुंजी |
इस आश्चर्यकारक रूप से सरल पुस्तिका (इतनी सरल कि एक मूर्ख की कृति लगे) को समझने की कुंजी यह बात ध्यान में रखने में है कि तथाकथित अज्ञानमय अंधकार युग में वापस जाने का यह प्रयत्न है स्वैच्छिक सादगी, गरीबी तथा धीमी गति में सौंदर्य-दर्शन करने का। इस पुस्तक में मैंने अपने आदर्श को रेखांकित किया है। मैं स्वयं वह आदर्श प्राप्त नहीं कर सकूंगा, इसलिए देश उसे प्राप्त करे ऐसी मेरी अपेक्षा नहीं है। परन्तु नयेपन, हवाईयात्रा तथा अपनी आवश्यकताएं बढ़ाते जाना आदि जो बातें आज आधुनिक युग को चाहिये, उनका मुझे रंचमात्र आकर्षण नहीं है। इन बातों से अपनी अंतरात्मा मृतवत् होती है। मनुष्य जितना उंचा उडने का प्रयत्न करता है, उतना ही वह ईश्वर से दूर होता जाता है । - गांधी (1939) |
'हिन्द स्वराज' और क्रेजी सभ्यता - डॉ. मनोज कुमार राय