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खण्ड 4 :
प्रेम-सिन्धु

45. सबका खयाल रखनेवाले बापू

एक बार कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक हो रही थी । काफी देर तक बैठक चलती रही । लोग ऊबने लगे । बात गांधीजी के ध्यान में आ गयी । वे बोलेः

“आप सब अब चाय पीकर आइये । आपके चाय पीने का समय हुआ होगा ।”

“वैसी खास आवश्यकता नहीं है । और कुछ समय बैठेंगे और बाद में चाय पियेंगे ।”

“सब समय पर होना चाहिए । बाद में क्यों ? आप परेशान तो दिखाई दे रहे हैं । जाइये, चाय पीकर आइये । चाय के लिए क्या आग्रह की जरूरत है ?” गांधीजी हँसते हुए बोले । सब लोग हँस पडे़ । ऐसा था राष्ट्र का पिता, सबका खयाल रखनेवाला । एक बार महादेवभाई को रात में देर तक काम करना पडा़, तो बापूजी ने उनके लिए चाय तैयार करवा दी ! सरदार चाय पीते थे । परन्तु सन् ’32 में यरवदा जेल में गांधीजी के साथ थे, तब चूँकि गांधीजी चाय नहीं पीते थे, इसलिए वे भी नहीं पीते थे । महान् व्यक्तियों की महान् बातें !!