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खण्ड 2 : राष्ट्रपिता
 

17.पुन्नीलाल नाई    

गांधीजी इलाहाबाद गये थे । आनन्द भवन में ठहरे थे । कमला नेहरू स्मारक औषधालय का शिलान्यास करना था, इसलिए आये थे । सन् 1939 के नवम्बर की 23 तारीख थी ।

गांधीजी को एक नाई की जरूरत थी । जवाहरलालजी के निजी सचिव श्री उपाध्यायजी ने एक कुशल नाई को बुलाया । उसका नाम पुन्नीलाल था । श्री उपाध्याय ने उसे साफ खादी के कपडे़ पहनने को दिये । वे कपडे़ उसे ठीक नहीं हो रहे थे । फिर भी वह पहनकर आनन्द भवन की दूसरी मंजिल पर वहा गया । गांधीजी अखबार पढ़ रहे थे । उसे देखकर बोलेः ‘‘अरे, तुम आ गये। तुम अच्छा बाल बनाते हो न ?’’

नाई नम्रता से मुस्कराता रहा । वह गांधीजी के बाल बनाने बैठा । उसने उनकी दाढी़ भी बनायी । गांधीजी हँसी -मजाक कर रहे थे । उससे उसके घर की जानकारी पूछ रहे थे । बीच में उन्होंने पूछाः ‘‘लगता है कि हमेशा खादी पहनते हो ।’’

‘‘नही । ये कपडे़ थोडे़ समय के लिए उधार है ।’’

उसका सच बोलना गांधीजी को अच्छा लगा । गांधीजी के बाल बनाते समय का श्री उपाध्याय ने एक फोटो खींचा ।

काम हुआ । नाई जाने लगा । उसने गांधीजी को प्रणाम किया । बापू ने कहाः ‘‘तुम अच्छा बाल बनाते हो ।’’

‘‘तो मुझे सर्टीफिकेट दीजिये ।’’

‘‘जब तक तुम अच्छा काम करते रहोगे, तब तक सर्टीफिकेट की जरूरत ही क्या ?’’

लेकिन नाई पीछे पड़ ही गया । आखिर गांधीजी राजी हुए । वह देखो, कागज आ गया । गांधीजी लिखने लगेः

आनन्द भवन, इलाहाबाद

भाई पुन्नीलाल ने बडे़ भाव से अच्छी तरह मेरी हजामत की है । उनका उस्तरा देहाती और बगैर साबुन के हजामत करते हैं ।

मो. क. गांधी

23-11-39

वह नाई इतना खुश होकर गया कि मानो उसे पृथ्वी-जितनी मूल्यवान् निधि मिली हो । जवाहरलालजी ने उसे दो रूपये दिये । और उपाध्यायजी से वह फोटो भी ले गया । वह फोटो और वह प्रशस्तिपत्र दोनों पुन्नीलाल की अनमोल सम्पत्ति हैं ।
      एक भाई सौ रूपये देने लगा था, लेकिन पुन्नीलाल वह चीज देने को राजी नहीं हुआ । श्री पुरूषोत्तमदासजी टण्डन ने खूब मनुहार करके उस फोटो और प्रशस्ति-पत्र का फोटो लिया और प्रकाशित किया, तब यह बात संसार को मालूम हुई ।